Saturday 15 March 2014

इतना गरूर न कर निकल जायेगा इक दिन, 
यह जनता का दरबार है, 
जरा झुक कर चलना यहाँ पर, 
बड़े बड़े दिग्गज को धुल चटा दी है,
कुमार विश्वाश क्या चीज है, 
न जाने कितनो को धूल में मिला दी है,
दौर यह बड़ा नाजुक है,
पहली बार सर उठाया है तुमने.
सर झुका कर चलना कुमार साहब
..जनता जनार्दन है पल में कुछ भी कर सकती है.
.घमंडी चेहरों की क्या बिसात
जो इन से पंगा ले ले..
मैने बहुतो को देखा है,
राजा से रंक होते हुए..
.आप नेता होते तो शायद ऐसा न कहते,
बस तजुर्बा अभी आपका बड़ा फिक्का है !!


अजीत तलवार
मेरठ
चुनाव का दौर है, 
यह भी चला जायेगा
कुछ दे और कुछ ले जायेगा
संभल कर करना अपना मतदान
यह दौर फिर लौट के नहीं आएगा
सोच को बदलो, उस नेता का बदलो
इस बात का भ्रम बस कुछ दिन
बाद सब के मन से निकल जायेगा
आशा पूरी कहाँ होती है
निराशा ही तो फिर साथ होती है
फिर घर पहुँच कर यारो यह
न कहना, की मैने गलत
नेता को वोट कर दिया
बस गलत नेता
को वोट कर
दिया !!

अजीत तलवार
मेरठ

Sunday 2 March 2014

मेघा रे मेघा रे,
तू परदेश न जा रे
बड़े दिनों के बाद
तू आया शहर में
आज सब को 
जम के भिगो रे !!

बच न पाए कोई
भी, हाल कर
सब का बुरा
देखना है अब
तक नगर
निगमों ने
काम किया
या है, अधूरा ???

कहते हैं धन
नहीं मिलता
बल नहीं मिलता
सब ऊपर वाले
खा जाते हैं
क्या ऊपर वाले
किसी स्पेशल
जगह से आते हैं !!

चुन कर तुमने
ही बैठाया था
अब धन क्या जनता
देगी, जब काम
नहीं करना है
तुमको तो क्यों
नखरे करते हो
यह सेवा भी
तुम को जनता देगी ??

भगवान् इतना बरसा
की यहाँ सब खुल
जाये इनकी पोल
यह रोजाना पब्लिक
का करते हैं
गोलम गोल,
मेघा रे मेघा खूब
बरस, खूब बरस
और खूब बरस ???

अजीत तलवार
मेरठ

Thursday 20 February 2014

कुछ दिनों से जो घटना हमारे देश के सब से स्वच्छ छवि वाले संसद में घटी हो रही हैं, वो बेहद शर्मनाक हैं, इतनी की जैसे देख कर यह लगता है सरे राह चलते चलते कोई किसी के साथ भी बदतमीजी कर देता है, और वो निहाथा कुछ भी नहीं कर सकता है, कोई मिर्ची का स्प्रे कर रहा है, कोई कपडे उतार रहा है, कोई जूता मार रहा है, कोई बिजली गूल कर रहा है, कोई माईक उठा कर मार रहा है, कोई मेज और कुर्सी फेंक कर अपनी भडास उतार रहा है, यह सब भारत देश के संसद में घटित होता देख कर सर शर्मसार हो रहा है, वो सांसद जिन को अपना उतराधिकारी बना कर जनता सर आँखों पर बिठा कर, अपना नेत्रत्व इन के हाथ में सौंपती है, ताकि यह वाद विवाद से हमारी समस्याओं का समाधान कर सके, परंतू, यह दिग्गज संसद को रन भूमि बना रहे हैं, जिस का जो दिल कर रहा है वो कर रहा है, कोई ऐसी फिल्म देख रहा है, जो सिनेमा हाल में भी लोग बाख कर देखते नजर आते हैं, जिन को संसद को चलने का भार दिया गया है, वो भी खुद इन से परेशान हैं, की किस परकार सब रोका जाये,   कुछ समझ नहीं आ रहा की इन सब गति विधिओं को कैसे रोका जाये, क्या यहाँ पर भी राष्टपति शासन , या इमरजेंसी की सख्त आवश्यकता है, क्या यहाँ पर भी मिलिट्री का मार्च पास्ट करना पड़ेगा, कौन सा ऐसा जरिया लागू किया जाये, जिस से यह शर्मसार करने वाली घटनाये न पनपें,..देश भर तो क्या विदेश तक में कैसा सन्देश जा रहा है, शायद इन सांसदों को इस बात का आभास नहीं हो रहा है, किसी भी तरह का दवाब बना कर अपनी बात को मनवा लेना यह कहाँ तक संसद की मर्यादा का भला कर रहा है, इस से तो अच्छा है की..आप खुल कर मैदान में आकर एक दुसरे पर वार करो, जो बच जायेगा वो अपने आप सारे अधिनियम लागू करवा लेगा ...सोचो कुछ सोचो, की आप यहाँ क्या करने आये हैं, और क्या कर रहे हैं, यह देश वीरों का है, इस को इस तरहं से लज्जित न करो, और संसद की मर्यादा में रहकर उसका पालन करते हुए, अपनी बात को रखो.

कवि अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Thursday 13 February 2014

क्यूं परेशान है ,
ओ दिल
क्यूं रोज लेता है
टेंशन उन के लिए
वो आज देर से
आयेंगे
क्या नहीं मालूम
वो गए हैं बाजार
तेरे लिए
गोल गप्पे लेने
के लिए !!

Wednesday 22 January 2014

डूब कर मर जाना चाहिए ,ऐसे बाप को ??

संसार का नियम है, की परिवर्तन होना जरूरी है, पर आज जो घटना हुई है, उस ने हर परिवर्तन को झकझोर दिया है, एक बाप का बेटी के प्रति जो सम्मान होना चाहिए, जिस को इतने नाजों के साथ पाला पोसा  जाता है, और कितने ही अरमान एक बाप के दिल के अंदर होते है, की मेरी बेटी बड़ी होकर मेरा नाम रोशन करेगी, और शादी हनी के बाद मेरे घर का नाम भी रोशन करेगी.न जाने क्या क्या सोचता है इंसान...पर आज जो घटना हुई उस ने बाप नाम के शब् को कलंकित कर दिया , सारी मरियादाओं का हनन कर के रख दिया, क्या इतनी घिनोनी सोच भी हो सकती है एक बाप की..आज तक दुनिया में बलात्कार की घटनाये जिस पारकर बढ़ रही हैं,.बस इस घटना ने उन सब को इतना पीछे छोड़ दिया है, की वो सब बेकार लगने लग गयी हैं..जिस बाप ने यह काम किया है,..अगर वो मेरे इन शब्दों को पद ले तो जल्दी जाकर किसी ट्रेन के नीचे अपना सर रख कर अपने को खत्म कर ले..अन्यथा जहाँ कहीं भी वो नजर आएगा...शायद बचना मुश्किल होगा उस का...

में कड़े शब्दों में इस करतूत की घोर निंदा करता हूँ...

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

कभी अभिमान न करो

अभिमानी व्यक्ति...........को सदा डर सताता रहता है
उस को अपना सम्मान करवाने की आदत पड़ जाती है
वो अंदर से डरपोक.......और ऊपर से दिखावा करता है..
इस लिये...दोस्तों...जीवन में कभी अभिमानी न बनना !!

सत्य वचन

अजीत कुमार तलवार
मेरठ