क्या नारी का पैदा होना अभिशाप है
आज हमारे देश में न जाने कितनी दामिनी जैसी बेटिओं का बलात्कार हो रहा है, हर तरफ बस यह सुनाई और दिखाई देता है, कि बलात्कार जैसी घिनोनी हरकत हरदम अपना सर उठा कर सड़क पर बेख़ौफ़ चल रही है..क्यों यह घटना इतना प्रचंड रूप लेती जा रही है..करने वालो को इस को करने में कोई शर्म नहीं आती है. किसी भी लड़की या महिला का घर से निकल कर बाहर जाना मुसीबत बनता जा रहा है, हर इंसान जो यह कृत करता है, वो क्या नहीं जनता है, कि वो क्या कर रहा है, क्या उस को यह सब करने के लिए अपना घर दिखाई नहीं देता, अपनी माँ , बहन, भाभी या कोई भी रिश्तेदार महिला पर नजर नहीं जाती है, पराई नारी पर ही नजर को जाती है, क्या उस का कोई वजूद नहीं है, क्या वो नारी रूप में पैदा होकर कोई गुनाह कर चुकी है, क्या उस का अपना को अस्तितत्व नहीं है, जो कोई भी अपना बल का प्रयोग करके उसका अपमान, या बलात्कार कर दे, यह नीचता का काम करने वाला सब से पहले नशे में जाकर यह काम करता है, ताकि काननों कि नजर में मन जाये कि इस ने नशे कि हालत में यह काम किया है, क्या नशा करने से पहले उस को अपने घर कि किसी महिला का ध्यान नहीं जाता, दूसरों पर नजर रख कर, उस का सर्वनाश करना अपनी मर्दानिगी समझता है, और फिर कुछ समाज के बलशाली लोग उसका बचाव करके उस के इरादों को और बल प्रदान कर देते हैं, सरकारी व्यवस्था भी साथ देने से नहीं चुकती,. वो भी उसी का बचाव करते हैं, जो गलत कर रहा है, जिस ने अपना सब कुछ खो दिया , उस के लिए सोचने का भी समय नहीं है, क्यों , क्योंकि उसके पास वो बल और धन नहीं है, जिस से उन सब का मुँह बंद कर सके, शायद भगवान् ने भी उस को नारी का रूप दे कर कुछ अपराध कर दिया हो...
दामिनी बलात्कार का न्याय आने के बाद न जाने कितनी और महिलाओं, लड़किओं के साथ यह घिनोना काम हो चूका है, क्या सभी को दामिनी जैसा इन्साफ दिया गया है, नहीं बल्कि और भी ज्यादा इस तरह के कैसो में इजाफा हो चूका है, न्यायपालिका कुछ जरूर न्याय दे चुकी है, परंतू उन सब को नहीं जिन के लिए कोई साथ न दे सका, दामिनी केस में पब्लिक ने इतना शोर कर दिया कि सरकार कि नींद खराब हो गयी और वो मजबूर हो गयी कि दामिनी को न्याय दिया जाये, आज हर रोज न जाने कितनी दामिनी सरीखी के साथ कितना न्याय मिल रहा है, वो जग जाहिर हे , व्यवस्था अभी पूर्ण रूप से जागी नहीं है, जिस दिन यह काम समाप्त हो जाएगा, उस दिन भारत सोने कि नगरी कहलायेगा..नहीं तो अभी राक्षस के रूप में न जाने कितनी दामिनी सरीखी नारीओं का अपमान होना बाकि है...
अजीत कुमार तलवार
मेरठ